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साहित्य-सत्कार : 75 गुणरत्नसूरि (14वीं शताब्दी) कृत तर्करहस्यदीपिका के अतिरिक्त सोगतिलकसूरि (1298-1367 ई.), वाचक उदयसागर कृत अवचूरि, वृद्धिविजय (1663ई.) रचित विवरण, ब्रह्मशान्तिदास (1828ई.) कृत अवचूर्णि और चारित्रसिंहगणि रचित वृत्ति उपलब्ध है। इसका हिन्दी, गुजराती के अतिरिक्त इटालियन और अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक में अनुवादक डॉ. नगीन जे. शाह ने तर्करहस्यदीपिका का गुजराती अनुवाद किया है। साथ ही भारतीय ज्ञानपीठ संस्करण में प्राप्त प्रस्तावना में भारतीय दर्शनों की संख्या, उनका संक्षिप्त परिचय, ग्रीक और भारतीय चिन्तन का सम्बन्ध, जैन विद्या के क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रमुख यूरोपीय एवं अमेरिकी विद्वानों एवं उनके कार्यों का संक्षिप्त परिचय जोड़कर इसे महत्त्वपूर्ण बनाया गया
परिशिष्ट में पूर्व उपलब्ध परिशिष्टों में दो अन्य संस्कृत टीकाओं के मूल को हटा दिया गया है। परिशिष्ट में अनुवादगत विशिष्ट शब्दों की सूची नई जोड़ी गई है। पुस्तक की साज-सज्जा आकर्षक है।
डॉ. अशोक कुमार सिंह