Book Title: Sramana 2012 07
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 83
________________ साहित्य-सत्कार पुस्तक समीक्षा पुरुषार्थसिद्धयुपाय (मङ्गलाटीका) अनुशीलन- मङ्गलाटीकाकार एवं दोहानुवादमुनिश्री प्रणम्यसागरजी, सम्पा. डा. सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती', श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायत सभा, घंसौर (जिला- सिवनी), मध्य प्रदेश, 2012, सजिल्द पृष्ठ सं. 158, मूल्य 60 रुपये मात्र । में पूज्य आचार्य विद्यासागर जी के सुयोग्य शिष्य पूज्य मुनिश्री प्रणम्यसागर जी ने कई मूलकृतियों का हिन्दी अनुवाद एवं उन पर विद्वत्तापूर्ण संस्कृत टीकाओं की रचना की है। अमृतचन्द्रसूरि कृत पुरुषार्थसिद्ध्युपाय पर मुनिश्री प्रणम्यसागर जी ने मङ्गला शीर्षक संस्कृत टीका की रचना की है। प्रस्तुत प्रकाशित कृति 'पुरुषार्थसिद्ध्युपाय (मङ्गलाटीका) अनुशीलन' मङ्गलाटीका पर 8-9 नवम्बर, 2011 को मध्यप्रदेश के सिवनी जनपद में आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रस्तुत लेखों का संकलन है। इसमें डा. रमेश चन्द जैन (बिजनौर), डा. नरेन्द्र कुमार जैन, (सनावद), डा. सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती' (बुरहानपुर), डा. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' (दिल्ली), डा. जयकुमार जैन (मुजफ्फरनगर), डा. अशोक कुमार जैन (का. हि. वि. वि., वाराणसी) आदि विद्वानों द्वारा प्रस्तुत लेख संकलित हैं। किसी एक कृति के विभिन्न पक्षों पर आयोजित संगोष्ठी उसमें प्रतिपादित विषयों के गम्भीर विवेचन का सम्यक् अवसर उपस्थित करती है। विद्वानों द्वारा प्रस्तुत लेख पुरुषार्थसिद्धयुपाय में प्रतिपादित आचार, दर्शन के साथ टीका के भाषात्मक एवं काव्यशास्त्रीय पक्षों पर भी गम्भीर एवं विस्तृत प्रकाश डालते हैं। इस दृष्टि से यह कृति संग्रहणीय है। डॉ. अशोक कुमार सिंह भारतीय तत्त्वज्ञान तर्करहस्यदीपिका - टीकाकार गुणरत्नसूरि, टीकानुवाद (गुजराती), डॉ. नगीन जे. शाह, श्री नेमि - विज्ञान - कस्तूरसूरि ग्रंथ श्रेणि सं. 28, श्री 108, जैन तीर्थदर्शन भवन ट्रस्ट (श्री समवसरण महामन्दिर), पालितानाअहमदाबाद - मुम्बई, सजिल्द पृ. 78, मूल्य 984 रुपये मात्र । महत्तरा याकिनी सूनु आचार्य हरिभद्र द्वारा विरचित सर्वदर्शन संग्राहक संस्कृत श्लोकबद्ध कृति षड्दर्शनसमुच्चय एक अत्यन्त विशिष्ट कृति है। इस पर

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