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२१८ : श्रमण, वर्ष ५९, अंक २ / अप्रैल-जून २००८
राजयशसूरीश्वरजी म.सा० के फीलखाना, हैदराबाद में दिनांक ६-७-२००८ को ससंघ चातुर्मास आगमन पर विशाल जनसमुदाय ने भव्य स्वागत किया। प्रवेशयात्रा प्रातः ८ बजे श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर, गोशामहल से प्रारम्भ होकर एम० जे० मार्केट, सिद्दी अम्बर बाजार होते हुए महावीर स्वामी जैन मंदिर फीलखाना पहुँची। १०.३० बजे आचार्यश्री लब्धि विक्रम हॉल में आचार्य श्री के प्रवचनों का जनमानस ने सुधापान किया। गुरुदेव के सान्निध्य में चातुर्मास प्रवास हेतु पू० प्रवर्तक श्री वज्रयश वि० म०सा०, पू० उपाध्याय श्री रत्नयश वि०म०सा०, पू० गणिवर्य श्री विश्रुतयशजी वि० म०सा०, पू० मुनि श्री देवेशयश वि० म०सा०, पू० मुनि श्री वीतरागयश वि० म०सा० पू० मुनि श्री यशेशयश वि० म०सा०, पू० मुनि श्री कर्तव्ययश वि०म०सा०,
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पू० मुनि श्री करीन्द्रयश वि०म०सा० तथा एकांगपाठी विदुषी पू० साध्वीवर्या रत्नचूलाश्री जी म० सा० और शासन प्रभाविका पू० साध्वीश्री वाचंयमाश्री जी म० सा० ( पू० बेन म० सा० ) के साथ अनेक साधु-साध्वी भी पधारे। इस अवसर पर हैदराबाद जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे । पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से हैदराबाद जैन समाज को हार्दिक बधाई ।
प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर में चातुर्मास त्रिवेणी
सम्पूर्ण जैन समाज के लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर में तीन संघों का एक ही स्थान और एक ही भवन में चातुर्मास समागम हो रहा है। यह समागम डॉ० सागरमल जी जैन के सरल एवं सम्प्रदाय निरपेक्ष व्यक्तित्व का ही प्रतिफल है कि खरतरगच्छ, तपागच्छ और स्थानकवासी साधु-साध्वियों के द्वारा प्राच्य विद्यापीठ में ज्ञान दर्शन और चारित्र की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। निश्चय ही यह एक ऐतिहासिक चातुर्मास होगा।
दिनांक १३.७.२००८ को खरतरच्छीय परमज्ञानी प०पू० मुनि श्री महेन्द्रसागरजी, मुनि श्री मनीषसागरजी, मुनि श्री वैराग्यसागर जी, नवदीक्षित मुनि श्री वर्धमानसागरजी, मुनि श्री ऋषभ सागरजी तथा तपागच्छीय प०पू० साध्वी प्रीतिदर्शनाश्री जी, साध्वी रुचिदर्शनाश्री जी एवं स्थानकवासी आचार्य प०पू० श्री शिवमुनि जी की आज्ञानुवर्तिनी प०पू० कुशलकुवंरजी म०सा० आदि ठाणा-४ और साध्वी श्री प्रतिभाश्रीजी म०सा० आदि ठाणा ३ का भव्य चातुर्मास प्रवेश शाजापुर नगर में हुआ। इस अवसर पर बाहर से पधारे तथा स्थानीय समाज के अनेक प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे। साधु-साध्वियां प्राच्यविद्यापीठ, शाजापुर में रहकर धर्मध्यान के साथ-साथ प्रो० सागरमलजी के निर्देशन में अध्ययन-अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। ध्यातव्य है कि शाजापुर में चातुर्मास करने वाले अधिकांश साधु-साध्वियां प्रो० सागरमलजी से जैन धर्म दर्शन की शिक्षा ग्रहण करने हेतु ही वहां पधारते हैं। विगत कुछ वर्षों में अनेक साधु साध्वी प्रो०
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