Book Title: Silopadesamala Balavbodh
Author(s): Merusundar Gani, H C Bhayani, R M Shah, Gitaben
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 6
________________ प्रधान-संपादकीय जयसिंहसूरिशिष्य जयकीर्तिए (विक्रमनी दसमी शताब्दी?) महाराष्ट्री प्राकृत भाषामां आर्या छंदमां ११४ गाथामां रचेली 'शीलोपदेशमाला' उपर मेरुसुन्दरे वि. सं. १५२५मां (=ई. स. १४६९मां) मांडवगढमां रचेलो बालावबोध, मूळ 'शीलोपदेशमाला' साथे, सौप्रथम प्रकाशित करता आनंद थाय छे. संस्कृत-प्राकृत भाषामां रचायेली महत्त्वपूर्ण धार्मिक, शास्त्रीय के उपदेशात्मक कृतिनो जूनी गुजराती भाषामां करवामां आवेल विवरणात्मक गद्य अनुवाद ए बालावबोध कहेवाय छे. बालावबोधसाहित्य ई. स. नी १३मी सदीना उत्तरार्धथी मळे छे. आ साहित्यनु अध्ययन गुजराती गद्यना विकास पर सारो प्रकाश पाडे छे. मेरुसुन्दरनो प्रस्तुत बालावबोध विक्रमनी १६मी शताब्दीनी कृति होई ते समयना गुजराती गद्यनो सारो परिचय आपे छे. एनो मोटो भाग ४३ कथाओए रोक्यो छे. एटले कथाविकास अने कथाघटकोना अभ्यासीओने पण ए उपयागी नीवडशे भाषाशास्त्रीय दृष्टिए एनो अभ्यास करनारने महत्त्वनी सामग्री पूरी पाडवानी एनी क्षमता छे. आम अनेक दृष्टिए एनु प्रकाशन महत्त्व पुरवार थशे. विद्वान संपादकोए छ प्राचीन हस्तप्रतोने आधारे 'शीलोपदेशमालाबालावबोध'नु चीवटपूर्वक संपादन कयु छे. उपरांत, पहेलां छपायेल मूळ 'शीलोपदेशमाला'नी गाथाओ अशुद्धप्राय होई, संपादकोए आ संपादनमा विविध हस्तप्रतो तेम ज छंदने आधारे पाठशुद्धि करी छे. वळी, अभ्यासपूर्ण भूमिकामां तेमणे बालावबोधसाहित्यनो परिचय अने तेनु महत्त्व, मूळ 'शीलोपदेशमाला' अने तेना कर्ता, शी. मा. बालावबोधना कर्ता मेरुसुदर अने तेमनी कृतिओ, शी. मा. बालावबोधगत कथाओ, प्रतिपरिचय अने संपादनपद्धति, शी. मा. बालावबोधनी भाषाकीय लाक्षणिकताओ वगेरेनु रोचक अने समुचित निरूपण कयु छे. प्रस्तुत संपादन संशोधकोने उपकारक बने ए हेतुथी तेमणे 'शीलोपदेशमाला'नी गाथाओनी अकारादिसूची, 'शी.मा. बालावबोध'मां उद्धृत संस्कृतप्राकृतपद्योनी अकरादिसूची अने महत्त्वना शब्दोनी सार्थ सूची तैयार करी आपी छे जे ग्रन्थना अन्ते छापी छे. आम आ संपादनने अनेक दृष्टिए उपयोगी बनाववा तेमणे खूब काळजी लीधी छे, ते बदल आपणे सौ तेमना ऋणी छीए. जूनी गूजराती साहित्यकृतिओना प्रकाशनमा सहकार आपवा बदल गूजरात राज्यना भाषानियामक श्री जोषीपुरानो हुं अंतःकरणपूर्वक आभार मानु बुं. आ ग्रंथना प्रकाशनमा आर्थिक सहाय करवा बदल गुजरात सरकारनो हु आभारी छु. ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावाद : ३८०००९ १ ओक्टोबर, १९८० नगीन शाह अध्यक्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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