Book Title: Siddhibhuvan Prachin Stavan Sangraha
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Keshavji Hirji Gogari Mumbai
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| શ્રી શંખેશ્વર પાશ્વનાથાય નમઃ
શ્રી ઋષભજિન
સ્તવને
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-१
आदिजिनं वन्दे गुणसदनं सदनन्तामलबोध रे । बोधकतागुणविस्तृतकीर्ति कीर्तितपथमविरोधं रे ॥ आदि० १ रोधरहितविस्फुरदुपयोगं योगं दधतमभङ्गं रे । भङ्गनयबजपेशलवाचं वाचंयमसुखसङ्गं रे ॥ आदि० २ संगतशुचिपदवचनतरङ्ग रङ्ग जगति ददानं रे। दानसुरदुममत्रजुलहृदयं हृदयंगमगुणभानं रे ॥ आदि०३ भानन्दितसुरवरघुनाग नागरमानसहंसं रे । हंसगति पंचमगतिवासं वासवविहिताशंसं रे ॥ आदि० ४ शंसन्तं नयवचनमनवमं नवमङ्गलदातारं रे । तारस्वरमघघनपवमानं मानसुभटजेतारं रे ॥ आदि० ५ इत्थं स्तुत: प्रथमतीर्थपतिः प्रमोदा
च्छ्रीमद्यशोविजयवाचकपुंगवेन । श्री पुण्डरीकगिरिराजविराजमानो मानोन्मुखानि वितनोतु सतां सुखानि ॥ आदि०६
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