Book Title: Siddhi Sopan
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 26
________________ Artv (२६) उन सिद्धोंको सिद्धि-अर्थ मैं वन्दूँ, अति सन्तुष्ट हुआ। उनके अनुपम-गुणाकर्षसे भक्तिभावको प्राप्त हुआ। ' ' ' (२). . . ई स्वात्मभावकी लब्धि सिद्धि' है, होती वह उन दोषोंके । उच्छेदनसे, आच्छादक जो ज्ञानादिक:गुण-वृन्दोंके । योग्य साधनोंकी संयुक्तिसे , । अग्निप्रयोगादिक द्वारा १ ज्ञानावरणादिक द्रव्यकर्म और रागादिक 1. भावकर्म-मलोंके । २ सम्यक् योजनासे। naaranamam ram.

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