Book Title: Siddhi Sopan
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 41
________________ POOOOOOOOOOOOON (४१) ~ ~ AN Lecceeeeeeeeeeeeeeeesecu o मंगलभूत पूर्ण विकसित, सत्___ चिदानन्द, जो निष्कामी ॥ (२०) ऐसे हुए अनन्त सिद्ध. औं' वर्तमान हैं संप्रति जो, . . आगे होंगे, सकल जगतमें, विबुध-जनोंसे संस्तुत'जो। उन सबको, नत-मस्तक हो, मैं . वन्, तीनों काल सदा तत्स्वरूपकी शीघ्र प्राप्तिका . इच्छुक होकर, सहित मुदा ॥ १ स्वयं मंगलमय और दूसरों के लिये मंगलके कारण । २ इस समय (विदेहादिकमें)। ३ उनके 0 अनन्तज्ञानादिरूप शुद्धं स्वरूपकी। ४ सहर्ष। Pemacoeeocececeseos

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