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o मंगलभूत पूर्ण विकसित, सत्___ चिदानन्द, जो निष्कामी ॥
(२०) ऐसे हुए अनन्त सिद्ध. औं'
वर्तमान हैं संप्रति जो, . . आगे होंगे, सकल जगतमें,
विबुध-जनोंसे संस्तुत'जो। उन सबको, नत-मस्तक हो, मैं . वन्, तीनों काल सदा तत्स्वरूपकी शीघ्र प्राप्तिका .
इच्छुक होकर, सहित मुदा ॥ १ स्वयं मंगलमय और दूसरों के लिये मंगलके कारण । २ इस समय (विदेहादिकमें)। ३ उनके 0 अनन्तज्ञानादिरूप शुद्धं स्वरूपकी। ४ सहर्ष।
Pemacoeeocececeseos