Book Title: Siddhi Sopan
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 42
________________ upsamacDEEOeeeeeSGEE (४२.) neetavarpesy DEEDSEDDESSEDESEEDESEEDEDESIS . (२१). . कारण, उनका जो स्वरूप है। ___ वही रूप सव अपना है, उस ही तरह सुविकसित होगा, ___ इसमें लेशं न कहना है। उनके चिन्तन-चन्दनसे निज रूप:सामने आता है, भूली निज-निधिका दर्शन यों, प्राप्ति-प्रेम उपजाता है। (२२) । इससे सिद्ध-भक्ति है सच्ची जननी सव कल्याणोंकी, १ प्रणाम-स्तुति-जयवादादिरूप विनय-क्रियाको वंदना अथवा वंदन कहते हैं। ක්‍රමක්‍රිශූක්‍රයුකකක E DESEEDEDESEENESS -

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