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करता तृप्त सुवचनामृतसेसभाजनोंको औ करता - ईश्वरता सब प्रजा - जनोंकी, अन्य - ज्योति फीकी करता ॥ ( ९ )
आत्माको, आत्म-स्वरूपसे, आत्मामें प्रतिक्षण ध्याताहुआ सोतिशय वह आत्मा यों, सत्य-स्वयम्भू-पद पाता ।
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१ परमात्मज्योतिसे भिन्न दूसरी संपूर्ण ज्योति अथवा दूसरोंकी - कल्पित ईश्वरें, देवतामन्यों और आप्ताभिमानियों आदिकी - ज्ञानज्योति एवं
प्रभा । २ अतिशयसहित, महान्, महात्मा ।
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