Book Title: Siddhi Sopan
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 30
________________ (३०) । विमल-सुदर्शन-ज्ञान-चरणमय ___ अपनी ज्योति जगाता * है, । उस सुशक्तिके प्रबल-घातसे घाति-चतुष्क नशाता है ॥ । तब वह भासमान होता स्थिर- . ___ अद्भुत-परम-सुगुण-गणसे * इस आत्मज्योतिको जगानेका अमोघ उपाय, 'महावीर-सन्देश 'में बतलाया गया है, जिसे । परिशिष्टमें देखना चाहिए। . १ शक्ति प्रहरण, आयुधविशेष । २ मूलो-१ च्छेद करनेवाले समर्थ प्रहारसे । ३ घातिकर्मीका चतुष्टय-अर्थात् जीवके ज्ञानादि अनुजीवी गुणोंको # घातनेवाले ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और। । अन्तराय नामके चार घातिया कर्म अपनी क्रमशः । ५, ९, २८, ५ऐसे ४७ उत्तर प्रकृतियों के साथ।।

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