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। विमल-सुदर्शन-ज्ञान-चरणमय
___ अपनी ज्योति जगाता * है, । उस सुशक्तिके प्रबल-घातसे
घाति-चतुष्क नशाता है ॥ । तब वह भासमान होता स्थिर- . ___ अद्भुत-परम-सुगुण-गणसे
* इस आत्मज्योतिको जगानेका अमोघ उपाय, 'महावीर-सन्देश 'में बतलाया गया है, जिसे । परिशिष्टमें देखना चाहिए। .
१ शक्ति प्रहरण, आयुधविशेष । २ मूलो-१ च्छेद करनेवाले समर्थ प्रहारसे । ३ घातिकर्मीका
चतुष्टय-अर्थात् जीवके ज्ञानादि अनुजीवी गुणोंको # घातनेवाले ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और। । अन्तराय नामके चार घातिया कर्म अपनी क्रमशः ।
५, ९, २८, ५ऐसे ४७ उत्तर प्रकृतियों के साथ।।