Book Title: Siddhi Sopan
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 31
________________ प्रकटित हुआ अचिन्त्य सार है है जिनका दुरित-विनाशनसे। केवलज्ञान-सुदर्शनसे, अति . वीर्य-प्रवरसुख-समकितसे, । शेपलब्धिसे, भामण्डलसे, ___ चामरादिकी सम्पत्से ॥ सवको सदा जानता-लखता युगपत, व्याप्त-सुतृप्त हुआ, घन-अज्ञान-मोह-तम धुनताहै सबका सब, नि:स्वेद हुआ। १ महापापल्प घातिकमाके क्षयसे ।. २ नवकेवल-लब्धियों मेंसे दान, लाभ, भोग, । उपभोग, और चारित्र नामकी शेष लब्धियोंसे।। । ३ श्रमजल ( पसेव) रहित एवं निखेद ।

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