Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan

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Page 6
________________ प्रश्च / चान्त:-१) / मृज् / (गण 2,10), भञ्ज, अज शक् (कान्तः१) / वच्, विच्, रिच, पच्, सिच्, मुच्, (चान्ताः-) / प्रच्छ् (छान्तः-१) / भ्रस्ज, मस्ज्, भुज, युज्, यज्, स्वफ़, रङ्, रुज, निज्, विज् (गण-३), सञ्, भङ्ग्, भज्, सृज्, त्यज् (जान्ताः-१५) / स्कन्द्, विद् (गण-४,६,७), नुन, स्विद् (गण-४), शद्, सद्, भिद्, छिद्, तुद्, अद्, पद्, हद्, खिद्, क्षुद् (दान्ताः-१४) / राध्, साधू, शुध, युध्, व्यध्, बन्ध्, बुध, (गण-४), रुध्, क्रुध्, क्षुध, सिध्, (धान्ताः-११) / हन्, मन्, (गण४) (नान्तौ 2) / आप्, तप, शप्, क्षिप्, छुप्, लुप्, (गण६), सप, लिप, वप, स्वप् (पान्ताः -10) / यभ, रभ, लभ, (भान्ताः-३)। यम्, रम्, नम्, गम् (मान्ताः-४)। क्रुश्, लिश्, रुश, रिश, दिश, दंश, स्पृश, मृश्, विश, दृश् (शान्ताः-१०)। शिष्, (गण-७), शुष, त्विष्, पिष्, विष्, (गण-३), कृष्, तुष्, दुष, पुष्, (गण-४), श्लिष् (गण-४), द्विष् (षान्ताः११)। घस्, वस् (गण-४) (सान्तौ-२)। रुह्, लुह्, रिह्, दिह्, लिह, मिह, वह, नह (गण-४), दह (हान्ताः-१०)।। / / व्यञ्जनान्तानिड्धातुनां सकला संख्या-१०० / / तज् (जान्ताः-४) / स्यन्द्, किद् (दान्तौ-२)। रध्, षिध् (धान्तौ-२)। तृप, दृप्, त्रप्, कृप, गुप् (पान्ताः -5) / क्षम् / (मान्तः-१)। नश, अश, किश् (शान्ताः-३) / अक्ष, तक्ष्, त्वक्ष् (षान्ताः-३)। मुह, द्रुह्, स्नुह, स्निह्, गुह्, गाह्, ग्ला, वृह, तृह्, स्तृह, स्तूंह (हान्ताः-११) // // सर्वे-३२ // सूचना- अस्मिन् यन्त्रे स्वरान्तविभागे एकस्वरा ये धातवो न दर्शितास्तेऽनिटो वेदितव्याः, व्यञ्जनान्तविभागे तु ये धातवो न दर्शितास्ते सेटो वेदितव्या इति //

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