Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
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________________ - 4 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् क्षराणां ह्रस्वा न सन्ति, इति तानि प्रत्येकं द्वादशभेदानि / तत्र एकारास्तालव्या विवृततराः स्वाः / ऐकारास्तालव्या अतिविवृततराः स्वाः / ओकारा ओष्ट्या विवृततराः स्वाः / औकारा ओष्ठ्या अतिविवृततराः स्वाः / वाः पञ्च पञ्च परस्परं स्वाः / य-ल-वानामनुनासिकोऽननुनासिकश्च द्वौ भेदौ परस्परं स्वौ // 17 // स्यौ-जसमौ-शस्-टा-भ्याम्-भिस्-डे-भ्याम्-भ्यस्-ङसि- . भ्याम्-भ्यस्-ङसोसामु-योस्-सुपां त्रयी त्रयी प्रथमाऽऽदिः // 11 // 18 // स्यादीनां प्रत्ययानां त्रयी त्रयी यथासंख्यं प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पञ्चमी षष्ठी सप्तमी च स्यात् // 18 // स्त्यादिर्विभक्तिः 1111119 // 'स' इति च 'ति' इति च उत्सृष्टानुबन्धस्य सेस्तिवश्च ग्रहणम् / स्यादयस्तिवादयश्च सुप्-स्यामहिपर्यन्ता विभक्तयः स्युः // 19 // तदन्तं पदम् // 11 // 20 // स्याद्यन्तं त्याद्यन्तं च पदं स्यात् / धर्मो वः स्वम्, ददाति नः शास्त्रम् // 20 // नाम सिदयूव्यञ्जने // 11 // 21 // सिति प्रत्यये यवर्जव्यञ्जनादौ च परे, पूर्वं नाम पदं स्यात् / भवदीयः, पयोभ्याम् / 'अय्' इति किम् ? वाच्यति // 21 // नं क्ये 1111 // 22 // 'क्ये' इति क्यन्-क्यङ् -क्यक्षां ग्रहणम् / नान्तं नाम क्ये परे पदं स्यात् / राजीयति, राजायते, चर्मायति // 22 // न स्तं मत्वर्थे / 1 / 1 / 23 // .
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