Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan
View full book text
________________ .श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् - डत्यतुं संख्यावत् / 11 / 39 // डत्यन्तम् अत्वन्तं च 'संख्याकार्यभाक्' स्यात् / कतिकः, यावत्कः // 39 // बहु-गणं भेदे 1111140 // बहु-गणशब्दो भेदवृत्ती ‘सङ्ख्यावत्' स्याताम् / बहुकः, गणकः / भेद इति किम् ? वैपुल्ये संघे च मा भूत् // 40 // क-समासेऽध्यर्द्धः / 1 / 1 / 41 // अध्यर्द्धशब्दः के प्रत्यये समासे च विधेये ‘संख्यावत्' स्यात् / अध्यर्द्धकम्, अध्यर्द्धशूर्पम् // 41 // अर्द्धपूर्वपदः पूरणः // 11 // 42 // अर्द्धपूर्वपदः पूरणप्रत्ययान्तः के प्रत्यये समासे च कार्ये ‘संख्यावत्' स्यात् / अर्द्धपञ्चमकम्, अर्द्धपञ्चमशूर्पम् // 42 // इत्याचार्यश्रीहेमचन्द्रविरचितायां सिद्धहेमचन्द्राभिधानस्वोपज्ञशब्दानुशासन लघुवृत्ती प्रथमस्याध्यायस्य प्रथमः पादः समाप्तः / / 1 / 1 / / हरिरिव बलिबन्धकर,-स्त्रिशक्तियुक्तः पिनाकपाणिरिव / कमलाश्रयश्च विधिरिव, जयति श्रीमूलराजनृपः // 1 // XOX ---
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/aaed0f93574da408683c5bbaf8a90c8cbbd76fde60c7289511568f5f93e2ae0b.jpg)
Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 250