Book Title: Siddhhemchandra Shabdanushasanam Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Mokshaiklakshi Prakashan

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Page 12
________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् सान्तं तान्तं च नाम मत्वर्थे परे पदं न स्यात् / यशस्वी, तडित्वान् // 23 // मनुर्नभोऽङ्गिरो वति / 111 // 24 // एतानि वति परे पदं न स्युः / मनुष्वत्, नभस्वत्, अङ्गिरस्वत् // 24 // वृत्त्यन्तोऽसषे // 11 // 25 // पराभिधायी समासादिवृत्तिः, तस्या अन्तः- अवसानं पदं न स्यात्, असषेसस्य तु षत्वे पदमेव / परमदिवौ, बहुदण्डिनौ / असष इति किम् ? दधिसेक् // 25 // सविशेषणमाख्यातं वाक्यम् / 1 / 1 / 26 // प्रयुज्यमानैरप्रयुज्यमानैर्वा विशेषणैः सहितं प्रयुज्यमानमप्रयुज्यमानं वा आख्यातं वाक्यं स्याद् / धर्मो वो रक्षतु, लुनीहि३ पृथुकाँश्च खाद, शीलं ते स्वम् // 26 // ___ अधातु-विभक्ति-वाक्यमर्थवत्राम // 11 // 27 // धातु-विभक्त्यन्त-वाक्यवर्जमर्थवच्छब्दरूपं नाम स्यात् / वृक्षः, स्वः, धवश्च / अधातुविभक्तिवाक्यमिति किम् ? अहन्, वृक्षान्, साधु धर्मं ब्रूते // 27 // शिघुट 1111 / 28 // जस्-शसादेशः शिर्घट् स्यात् / पद्मानि तिष्ठन्ति, पश्य वा // 28 // पुं-स्त्रियोः स्यमौ जस् / 11 / 29 // स्यादयः पुं-स्त्रीलिङ्गयोघुटः स्युः / राजा, राजानौ, राजानः, राजानम्, राजानौ; सीमा, सीमानौ, सीमानः, सीमानम् // 29 // स्वरादयोऽव्ययम् // 11 // 30 // स्वरादयोऽव्ययानि स्युः / स्वर, अन्तर्, प्रातर् इत्यादि // 30 // चाऽऽदयोऽसत्त्वे 191131 //

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