Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तानौमृडातऽईट 61 उपस्म्मैि // गायतानरपव॑मानायेन्दवे // भिदेवा // ऽइयक्षते 62 येत्वा // हिहत्येमघवन्नवर्द्धन्येशाम्बरेह / / रिवोयेगविष्टौ // येत्वानूनमनुमदन्तुिधिप्प्रापिबैन्द्रसोमुसर्गणो | मरुद्भिः 63 जनिष्ठाऽउग्य // सहसेतुरायमुन्द्रऽओजिष्ठोबहुलाभि मानः // अवर्द्धन्निन्दम्मुरुतंश्चिदमातायवीरन्दधनद्धनिष्ठा 64 आतु॥ आतनंऽइन्द्रवृत्रहन्नुम्माकमुर्द्धमार्गहि // महान्महीभिरू तिभिः 65 त्वमिन्द्र // त्वमिन्द्रप्पतूर्तिष्ष्वभिविश्वाऽअसिस्प // अशस्तुिहाजनिताविश्वतूरसित्वन्तूंर्यतरुष्ष्यत 66 / नुते // अनुतेशुष्म्मन्तुरय॑न्तमीयतुक्षोणीशिशुन्नमातरी // विश्वा 常常背著於茶茶#茶就發覺非常落落落落落於治教路公於汝於容許此 For Private and Personal Use Only

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