Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहि. टौयमायत्वाक्षत्रस्यत्वादशकौत्रयोष्टाविशतिः॥ देवस्य॑त्वा // देव | स्यत्वासवितुप्पसुवेश्श्विनौ हुन्याम्पूष्ष्णोहस्तान्याम् // आ देदित्यैरास्नासि 1 इदु एहि // इडएयदितऽपहिसरस्वत्येहि // सावेह्यसावेहवसावेहि 2 अदित्यैरास्नासीन्द्राण्याऽउष्ष्णीर्षः // पूषासिंघुआयदीष्ष्व 3 अश्श्विगाम्पिन्चस्वसरस्वत्यैपिन्बुस्वे / / दायपिन्वस्व // स्वाहेन्द्रवत्थस्वाहेन्दवत्थस्वाहेन्द्रवत् 4 यस्तै // स्तनःशशुयोयोमयोभूयोरत्नधासुविद्यासुदत्रः // येनविश्वा पुष्यसुिवासँणिसरस्वतितमिहधातवेकः // उर्वन्तरिक्षमन्मि 84 5 गायत्रञ्छन्दः॥ गायत्रञ्छन्दौसित्रैष्टुंझुन्छन्दोसुिद्यावापृथिवी 新評語治容師部路容許海容許容將落落落落落落落落落落落落格 For Private and Personal Use Only

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