Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir स्तुविजातीवरुणोदक्षोऽअश’ 54 सुप्तऽऋषयः // सुप्तऽऋषयः / / प्प्रतिहिता शरीरेसप्प्तरक्षन्तिसदमप्प्रमादम् // सुप्तापुःस्वप॑तोलो। कीयुस्तत्रजागृतोऽअस्वप्मजौसत्रुसदौंचदेवौ 55 उत्तिष्ठब्रह्मण स्प्पतेदेवयन्तस्त्वेमहे // उपप्पयन्तुमुरुत सुदानवुऽइन्द्रप्पाशूभवा सचा 56 प्रनूनम् // प्रनूनम्बह्मणस्प्पतिर्मन्बंबदत्त्युत्थ्यम् // य रिम्मुनिन्द्रोवरुणोमित्रोऽअर्घमादेवाऽओकासिचक्रिरे 57 ब / हमणस्प्पते // ब्रहमणस्प्पतृत्वमुस्ययुन्तासूक्तस्य॑बोधितनयञ्चजि व // विश्वन्तद्रुद्रंय्यदवन्तिदेवाबृहदेमविदथै सुवीरा // यऽइमा। विश्वाविश्वकर्मायोन:पितानपतेन्नस्यनोदेहि ५८[१८]इति For Private and Personal Use Only

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