Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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Page 456
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सखीनामविता रितुणाम् // शुतम्भवास्यूतिभिः 6 कयात्वम् // कयात्वन कृत्याभिप्प्रमन्दसेवृषन् // कयोस्तोतन्य आभर 7 इ न्द्रोविश्वस्य ॥राजति // शन्नोऽअस्तुविपदेशश्चतुष्प्पदे 8 शनों मित्रशंवरुण शन्नौ भवत्वर्युमा // शन्न इन्द्रोबृहस्पतिःशनोवि ष्णुरुरुकुम 9 शन्नोबातः // पवताशनस्तपतुसूयः / शन्न कनिकददेवपुर्जन्योऽअभिवर्षतु 10 अहानिशम् // अानिशम्भ वन्तुनःशरात्रीप्प्रतिधीयताम् ॥शन इन्द्राग्नीभवतामोशिश न इन्द्रावरुणारातहव्या ॥शन इन्द्रापूषणाबाजसातौशमिन्द्रासो मासुवितायुशय्योः 11 शन्नः॥ शन्नौदेवीरभिष्ट्रय आपोभवन्तु 子节举步步非茶外形特张张都会带来张券等非常柴柴柴柴柴举非常非常柴柴 For Private and Personal Use Only

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