Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |ऽअद्यतेऽअपुरन्तुचेतुनोभवन्तुवरिवोविदः९४अाधमत्॥अधि। मदभिशस्तीरशस्तुिहाथेन्द्रौद्युम्न्याभवत् // देवास्तऽइन्द्रसुक्ख्याय मिरेबृहद्रानोमरुद्गण 95 प्रवः॥ प्रबुऽइन्ध्यबृहुतेमरुतोब्रांच त // बुबहिनतिवृत्रुहाशुतऋतुर्वणशतपर्वणा 96 अस्येत् // अ स्येदिन्द्रौवावृधेवृष्ष्ण्यु शवोमदेसुतस्युविष्ष्णवि // अद्यातमस्य / महिमानमायवोनुष्टुवन्तिपूर्वथा // इमाऽउत्वायस्यायमय सुहस्र / मूईऽषुणः 97 [13] इतिसंहितापाठेत्रयस्त्रिंशोऽध्यायः 33 यज्जाग्रतःपंचनद्यःसोमोधेनुमाकृष्ष्णेनपूर्फतवदशकानतदष्टौषडष्टा पंचाशत् // यज्जाग्यंत ॥यजाग्रतोदूरमुदैतिदेवन्तदुसुप्तस्यतथैव / / 产养的举着步步登步带於茶养於影帝影影影影影影對外步步紧带整卷柴带带带 For Private and Personal Use Only

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