Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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Page 445
________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir पृथिवीऽउतद्यौः 30 [१०]आकृष्ष्णेन // रज॑सावर्तमानोनिवेश यन्नमृतुम्मर्त्यञ्च // हिरण्ययेनसवितारथेनादेवीयांतिभुवनानिपश्य न 31 आरात्रि // पार्थिवरजपितुरप्पायिधामभिः // दिवस दार्शसिंबृहतीवितिष्ट्रसुऽआन्वेषवर्ततेतमः 32 उपस्तत् // उपुस्त चित्रमाऔरास्म्मभ्यं वाजिनीवति // येनतोकञ्चतनयञ्चधामहे३३ पातरग्निम् // प्रातरग्निम्प्रातरिन्द्रव्हिवामहेप्प्रातर्मित्रावरुणाप्पातर विश्वना // प्रातर्भगम्पूषणुम्ब्रहमणस्प्पतिम्प्रातःसोममुतरुद्रहुंचे। म 34 प्रातर्जितम्भगम् // प्रातुर्जितम्भगमुग्यहुवेमव्यम्पुत्रमदि योबिधुर्ता // आद्रश्चिद्यम्मन्यमानस्तुरश्चिद्रााचियम्भग For Private and Personal Use Only

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