Book Title: Shrutsagar 2017 03 Volume 10 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR March-2017 शरीरमां पग सेवकनुं कार्य करे छे. आखा शरीरनो आधार पग पर छे तेम सर्व धर्मनो आधार सेवाधर्म छे. जेओ प्रथम सेवक बने छे तेओ पश्चात् स्वामी बनवाने लायक बने छे. जेओ सेवाधर्मनो जाते अनुभव ग्रहण करतां नथी तेओ स्वामी थइ शकता नथी. सेवाधर्म प्रथम शिखवो जोइए अने सेवाधर्म प्रथम करवो जोइए. प्रभुए पगनो जगत् जीवोनुं श्रेयः करवा उपयोग कर्यो छे ते प्रमाणे आपणे पण तेमनां चरण कमळ पूजीने तेमनां चरण कमलनो सेवा धर्म स्वीकारशुं त्यारे खरेखरा सेवक बनी शकीशु. मोटा थq होय तो सेवाधर्म स्वीकारो. एम प्रभुनां चरणकमल पूजननो सार ग्रहण करो. प्रभुनां चरणकमल पूजीने सेवाधर्म स्वीकारीने आपणे ते प्रमाणे वर्तीए तो पोतानुं अने जगत- केटलुं बधुं कल्याण करी शकीए ? तेनो ख्याल करवो जोइए. प्रभुनां चरणकमल पूजनारे पोतानी शक्ति वडे सेवा धर्म करवो जोइए. जैनधर्मनी सेवामां दररोज भाव अने आचार वधे तो समजवू के प्रभुनां चरणकमलनी खरेखरी पूजा करवामां आवे छे. सेवक बनीने जैनोए प्रत्येक धर्मकार्यो करवां जोइए, अने बाह्य पदवी वगैरेनी इच्छाओनो त्याग करवो जोइए एम चरण कमलनी पूजा जणावे छे. सेवाधर्म करवामां युगलिकोनी पेठे विनयनी जरूर रहे छे. जैनशासननी उन्नति करवी होय वा जगतनुं कल्याण करवू होय तो प्रभुचरणनां सेवक बनीने प्रभुचरणनां गुणो ग्रहण करी ते प्रमाणे वर्तो. जानु बळे प्रभु कायोत्सर्गमा रह्यां हतां. कायोत्सर्गमां जानुए सहायआपी हती आपणे पण जानुनो गुण ग्रहण करीने अन्योने धर्मकार्योमां सहाय आपवी जोइए. जानुने पूजीने प्रत्येक जीवोने सुकार्यमा सहाय आपवानो आत्मामां गुण प्रगटाववो जोइए. जानुना जेवा गुणो प्रगटाववा माटे दररोज प्रयत्न करवो जोइए. प्रभुनां हस्तनी पूजा करीने आपणे प्रभुनां हस्तनी पेठे प्रवृत्ति करवी जोइए. पूर्वे गृहस्थावासमां तीर्थंकरोए सांवत्सरिक दान आप्यु हतुं, तद्वत् संसारमा रहेनारा मनुष्योए पण प्रभुनां हस्तनी पूजा करीने पोताना हस्त वडे सुपात्रोमां दान देवू जोइए. प्रभुना हस्ते अनेक पारमार्थिक कार्यो कर्यां छे माटे ते पूज्य बन्यो छे, अने तेनी पूज्यताना हेतुओने आपणे पण ग्रहण करीने आपणां हस्तने पूज्य बनाववो जोइए. प्रभुनां हस्तनो गुण लेवा माटे प्रभुनां हस्तनी पूजा करवामां आवे छे. वीतराग देवनां हस्तनी पेठे पोताना हस्त वडे दान देवां आदि अनेक शुभ कार्यो थवां जोइए. लक्ष्मी सत्ता आदिनो परमार्थ कार्योनी उन्नतिमां उपयोग करवो जोइए. प्रभुए हस्त वडे जेवां कार्यो कर्यां तेवां कार्यो करवाने माटे हस्त पूजती वखते द्रढ संकल्प धारण करवो. जे हाथे ते साथे सारांश के जे हस्त वडे दानादि शुभ धर्म करवामां आवशे ते ज अन्ते For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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