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फरवरी-२०१६
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श्रुतसागर
११.००, पंक्ति ११, अक्षर ३६, लेखन संवत् विक्रम संवत् १६७०, ज्येष्ठ शुक्लपक्ष ७ गुरुवार, दशा - श्रेष्ठ, विशेषता - प्रतिलेखक ने चित्रांकन पद्धति से स्तोत्रों के बीच में गुरु का नाम, अपना नाम एवं पठनार्थे का नाम लिखा है. अक्षर-सुंदर; गेरू लाल रंग से अंकित विशेष पाठ; लेखन पद्धति-अंक व दंड लाल स्याही से; चित्र-अंक स्थान में - सादा (रेखा चित्र)-अंतिम पत्र; फुल्लिकामध्य-वापी-गोलचंद्र-लाल; पार्श्व रेखा-पीला-लाल, प्रतिलेखन स्थल- बीबीपुर, पठनार्थे- पं. वीरसागर गणि, गुरुनाम - कीर्तिविजय प्रतिलेखक- कीर्तिविजय गणि, गुरुनाम कमलविजय गणि, गुरु-पितृपरंपरा- पं. कमलविजय गणि, गुरु नाम- हंसविजय गणि.
प्रत की सूचना के नीचे देखने से पता चलता है कि इस प्रत में कोई पेटांक नहीं है. इसमें नवस्मरण के नौ स्मरणों में से आठ स्मरण लिखे गए हैं तथा नौवां स्मरण कल्याणमंदिर नहीं है.
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(क्रमशः)
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