Book Title: Shrutsagar 2016 02 Volume 02 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 32 श्रुतसागर फरवरी-२०१६ करके वैज्ञानिकों के समक्ष एक नई दिशा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। सम्पूर्ण विश्व व्यवस्था के अंतर्गत असंख्य द्वीप-समुद्रों के समूह मध्यलोक, ब्रम्हांड में व्याप्त सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र, तारा आदि का वर्णन, उर्ध्वलोक के रूप में विख्यात देवलोक, ग्रैवेयक, अनुत्तर आदि लोकों के साथ-साथ अधोलोक में स्थित नरकों का सचित्र विवरण प्रस्तुत है। इसके अतिरिक्त संसार के छोटे-बड़े समस्त पदार्थों के वास्तविक स्वरूप का वर्णन संकलित है। आशा है, इस ग्रन्थ के माध्यम से इस विषय पर शोध एवं वैज्ञानिक परीक्षण करने वालों का मार्ग प्रशस्त होगा और वैज्ञानिक-शोधकर्ता भी श्रमण परम्परा की अवधारणा को इसके मूलरूप में मान्यता प्रदान करने को विवश होंगे। प्रस्तुत ग्रन्थरत्न में वर्णित विषयों का मनन-चिन्तन कर मुमुक्षु अपने समस्त कर्मों को क्षय करने की दिशा में अग्रसर होंगे और अपना मानवजीवन सफल बना सकेंगे। यह ग्रन्थरत्न स्वयं में एक शिक्षक की भूमिका भी निभाने में समर्थ सिद्ध होगा। जिनगुण आराधक ट्रस्ट, मुंबई द्वारा प्रकाशित यह ग्रन्थरत्न, जैन तत्त्वज्ञान का एक विशिष्ट ग्रन्थ सिद्ध होगा। ५ भागों में विभक्त इस ग्रंथ की छपाई शुद्ध एवं सुन्दर है, तो आवरण पृष्ठ आकर्षक एवं विषयानुकूल है। विस्तृत अनुक्रमणिका में विषयों का क्रम पूर्ण वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। महत्त्वपूर्ण विषयों से सम्बन्धित सन्दर्भो के लिये प्राचीन हस्तप्रतों को मूलरूप में ही प्रस्तुत करके इस ग्रन्थरत्न को और अधिक उपयोगी बनाया गया है। मल्टी कलर में छपे इस ग्रन्थ के निर्माण में प्रयुक्त कागज एवं छपाई भी दीर्घ समय तक चल सकें इस प्रकार का चयन किया गया है। पूज्य मुनि श्री चारित्ररत्नविजयजी महाराज साहब ने पूर्व में सर्वज्ञ कथित विश्व व्यवस्था नामक ग्रंथ का सृजन गुजराती भाषा में किया था। उसी ग्रंथ के आधार पर अन्य विशिष्ट सूचनाओं को समाविष्ट कर हिन्दी भाषा में इस ग्रंथ की रचना की है। पूज्यश्री ने समाज के सभी वर्गों के लिये उपयोगी हो सके इस प्रकार विषयों का वर्गीकरण एवं प्रस्तुतिकरण करके समाज पर बहुत बड़ा उपकार किया है। आशा है भविष्य में भी पूज्यश्री के माध्यम से इसी प्रकार समाज लाभान्वित होता रहेगा। For Private and Personal Use Only

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