Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 18
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ // 60 // // 61 // / // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // दीवसमुद्देसु सया, रविप्पमाणा य वासरा हुंति।। रयणीउ चंदसंखा, समसेणीए मणुअलोए . पुव्वविदेहे सेसे, मुहुत्ततिगि वासरे निरिक्खंति / भरहनरा उदयंतं, सूरं कक्कस्सं पढमदिणे भरहे वि मुहुत्ततिगे, सेसे पच्छिमविदेहमणुआ वि / एरवए वि अ एवं, तेण दिणं सव्वओ तुल्लं जंबुद्दीवे मयरे, रयणीइ मुहुत्ततिगि अइक्कते। उदयइ तहेव सूरो, मुहुत्ततिगसेसि अत्थमएं णरलोगम्मि अ सेसे, एवं दिणरयणिमाणमवि नेअं। नवरं बहिआ बहिआ, ससिसूराणं गई सिग्घा पढमपहराइकाला, जंबुद्दीवम्मि दोसु पासेसु। लब्भंति एगसमयं, तहेव सव्वत्थ णरलोए केणं वड्डए चंदो, परिहाणी होइ केण चंदस्स / केण सिअकिण्हपक्खा, दिणे अ रत्तिम्मि केणुदओ किण्हं राहुविमाणं, निच्चं चंदेण होइ अविरहिअं / चउरंगुलमप्पत्तं, हिट्ठा चंदस्स तं चरइ बावर्द्वि बावर्द्वि, दिवसे दिवसे उ सुक्कपक्खस्स / जं परिवड्डइ चंदो, खवेइ तं चेव कालेण सोलसभागे काऊण उडुवई हायएत्थ पन्नरसं / तत्तियमित्ते भागे, पुणो वि परिवड्डए जोण्हा एवं वड्डइ चंदो, परिहाणी होइ एव चंदस्स / कालो वा जोण्हा वा, तेणणुभावेण चंदस्स सूरेण समं उदओ, चंदस्स अमावसीदिणे होइ। तेसि मंडलमिकं, रासी रिक्खं तहिक्कं च // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // - // 70 // // 71 // ૨પર
Page Navigation
1 ... 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346