Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 18
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 280
________________ // 2 // // 4 // अज्ञातकृतम् // श्रावकव्रतभङ्गप्रकरणम् // पणमिअ समत्थपरमत्थवत्थुवित्थारदेसगं वीरं / वुच्छामि सावयाणं, वयभंगयभेअपरिसंखं // 1 // दुविहा अट्ठविहा वा, बत्तीसविहा व सत्तपणतीसा / सोलसय सहस्स भवे, अट्ठसयद्दुत्तरा वइणो दुविहा विरयाविरया, दुविहं तिविहाइण?हा हुँति / वयमेगेगं छव्विहं गुणिअं दुगमिलिअ बत्तीसं // 3 // तिनि तिआ तिन्नि दुया, तिन्निक्किक्का य हुंति जोगेसु / तिदुइक्कं तिदुइक्कं, तिदुइक्कं चेव करणाई मणवयकाइयजोगे, करणे कारावणे अणुमईए / इक्कगदुगतिगजोगे, सत्ता सत्तेव इगुवन्ना पढमिक्को तिन्नि तिआ, दुन्नि नवा तिन्नि दो नवा चेव / कालतिगेण य सहिया, सीआलं होइ भंगसंयं पंचाणुव्वयगुणिअं, सीआलसयं तु नवरि जाणाहि / सत्तसया पणतीसा, सावयवयगहणकालम्मि सीआलं भंगसयं, जस्स विसुद्धीइ होइ उवलद्धं / सो खलु पच्चक्खाणे, कुंसलो सेसा अकुसला य दुविहतिविहाइ छ च्चिय, तेसिं भेया कमेणिमे हुंति / पढमिक्को दुन्नि तिआ, दुगेगदोछक्क इगवीसं एगवए छ ब्भंगा, निद्दिट्ठा सावयाण जे सुत्ते / ति च्चिअपयवुड्डीए, सत्तगुणा छज्जुआ कमसो इगवीसं खलु भंगा, निद्दिट्ठा सावयाण जे सुत्ते / ति च्चिअ बावीसगुणा, इगवीसं पक्खिवेयव्वा // 11 // // 8 // 201

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