Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 18
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ || 377 // // 378 // * // 379 // क्रियावाचित्वमाख्यातुं प्रसिद्धोऽर्थः प्रदर्शितः / प्रयोगतोऽनुमन्तव्या अनेकार्था हि धातवः परे स्तम्भादयः सौत्रा गव्याद्या नामधातवः / चुलुम्पप्रमुखा वाक्यकरणीया अनेकशः लौकिकाः क्लविमुख्याश्च परोक्ता अपि केचन / अनेकार्थाः स्मृतास्तेषां दर्शनं तु निदर्शनम् ज्ञेयाः स्वयं यथादृष्टमत्र न्यूनाधिकं च यत् / तुल्यचित्तैः सुधीभिस्तच्छोध्यं मयि कृपालुभिः द्वात्रिंशदधिकधातुद्विसहस्रीपत्रपूरितः श्रयताम् / कविकल्पतरु यादेकादशपल्लवः फलदः इति सद्गुरुवाग्देवीप्रसादमासाद्य हर्षकुलविहिते। कविकल्पद्रुमनाम्नि ग्रन्थेऽभूत्पल्लवोऽत्र दशमपरः तत्संपूर्ती स संपूर्णोऽयमेकादशपल्लवी ग्रन्थः / कविकल्पद्रुमनामा यथेप्सितफलदः पाठकानाम् // 380 // . // 381 // // 382 // // 383 // 312
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