Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 18
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ चरणं करणं दुविहं पि होइ सत्तरसभेयसंभिन्नं / अहवा चरणं करणं पत्तेयं सत्तरिविहं तु . . // 30 // वयसमणाई अट्ठ उ पिंडविसोहियमाइ अद्वैव / नवरमिह संपयाया वयसमणाईयगाहाए // 31 // वेयावच्चं च इहप्पयम्मि चसद्दयाउ सज्झाओ। नवमो इय संजोगो सतरसहा चरणकरणाई * // 32 // . चरणं करणं सत्तरसविहं तु इय वक्कसच्चकरणत्थं / वयगाहाएँ चसद्दा सज्झाओ आसि जो गणिओ // 33 // सो इह नो गणियव्वो तत्तो वयमाइअट्ठठाणाणं / विवरम्मि सत्तरिविहं चरणं किर बेंति समयन्नू // 34 // सव्वं पाणाइवायं सव्वं मोसं अदिन्नदाणं च / सव्वं पि मेहुणं परिग्गहं पि निसिभोयणं सव्वं // 35 // जावज्जीवाएँ तिविहं तिविहेण तिकालियं पि जं वज्जे / ते इंतिह मूलगुणा समणाण महव्वया पंच // 36 // पिंडस्स जा विसोही इच्चाइ छठाणगे इमे अंका। बायाल पंच पणवीस बार तह बार चउरो य // 37 // पिंडस्स जा विसोही सा बायाला इहुत्तरगुणेसुं। विनेया समिईओ पंच य समए पसिद्धाओ // 38 // पाणाइवाइयाणं पंचण्ह महव्वयाण उवरिम्मि / हुंतीह भावणाओ पत्तेयं पंच ता य इमा // 39 // वत्थाइठवणगहणे समिई इरिएसणाए समिई य / मणवयणे गुत्तिदुगं पढमवए भावणा पंच कोहा वा लोहा वा भया व हासा व नो वए मोस। अणुचिंतिय भासेज्जा दुइयवए भावणा पंच // 41 // || 40 // 268
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