Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 262
________________ पडिपुच्छणा उ कज्जे पुव्वणिउत्तस्स करणकालम्मि / कज्जंतरादिहेउं णिट्टिा समयकेऊहिं . // 574 // कज्जंतरें ण कन्जं तेणं कालंतरे व कज्जं ति / अण्णो वा तं काहिति कयं व एमाइया हेऊ // 575 // अहवा वि पवित्तस्सा तिवारखलणाएँ विहिपओगे वि / पडिपुच्छण त्ति नेया तहिं गमणं सउणवुड्डीए // 576 // पुव्वणिसिद्धे अण्णे पडिपुच्छा किल उवट्ठिए कज्जे / एवं पि नत्थि दोसो उस्सग्गाईहिं धम्मठिई // 577 // पुव्वगहिएण छंदण गुरुआणाए जहारिहं होति / असणादिणा उ एसा णेयेह विसेसविसउ त्ति // 578 // जो अत्तलद्धिओ खलु विसिट्ठखमगो व पारणाइत्तो। इहरा मंडलि भोगो जतीण तह एगभत्तं च // 579 // नाणादुवग्गहे सति अहिगे गहणं इमस्सऽणुण्णायं / दोण्ह वि इट्ठफलं तं अतिगंभीराण धीराण // 580 // गहणे वि णिज्जरा खलु अग्गहणे वि य दुहा वि बंधो य / भावो एत्थ णिमित्तं आणासुद्धो असुद्धो य // 581 // सज्झायादुव्वाओ गुरुकिच्चे सेसगे असंतम्मि। तं पुच्छिऊण कज्जे सेसाण णिमन्तणं कुज्जा // 582 // दुलहं खलु मणुयत्तं जिणवयणं वीरियं च धम्मम्मि / एयं लभ्रूण सया अपमाओ होइ कायव्वो // 583 // दुग्गतरयणायररयणगहणतुल्लं जईण किच्चं ति / आयतिफलमद्धवसाहणं च णिउणं मुणेयव्वं इयरेसिं परिक्खि (अक्खि) ते गुरुपुच्छाए णिओगकरणं ति / एवमिणं परिसुद्धं वेयावच्चे तु अकए वि // 585 // // 584 // . 253

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