Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ दोसस्स जं णिमित्तं होति तगो तस्स सेवणाए उ / ण उ तक्खउ त्ति पयडं लोगम्मि वि हंदि एवं ति // 750 // दव्ववणाहरणेणं जोजितमेतं विदूहि समयम्मि / भाववणतिगिच्छाए सम्मं ति जतो इमं भणितं // 751 // दुविहो कायम्मि वणो तदुब्भा (ब्भवा)गंतुगो य णायव्वो / आगंतुगस्स कीरति सल्लुद्धरणं ण इयरस्स . // 752 / / तणुओ अतिक्खतुंडो असोणितो केवलं तयालग्गो / उद्धरिउं अवउज्झइ सल्लो ण मलिज्जइ वणो उ // 53 // लग्गुद्धियम्मि बीए मलिज्जइ परं अ (रम) दूरगे सल्ले। उद्धरणमलणपूरण दूरयरगए उ तईयम्मि // 754 // मा वेअणा उ तो उद्धरित्तु गालिति सोणिय चउत्थे / / रुज्झइ लहुं ति चेट्ठा वारिज्जइ पंचमे वणिणो // 755 / / रोहेइ वणं छठे हितमितभोजी अभुंजमाणो वा / / तत्तियमेत्तं छिज्जति सत्तमए पूइमंसादी .. // 756 // तह विय अठायमाणे गोणसखइयादि रप्पुए वा वि। . कीरति तदंगछेदो सअट्ठितो सेसरक्खाओ (क्खट्ठा) // 757 // मूलुत्तरगुणरूवस्स ताइणो परमचरणपुरिसस्स / अवराहसल्लपभवो भाववणो होइ णायव्वो // 758 // एसो एवंरूवो सविगिच्छो एत्थ होइ विण्णेओ / सम्मं भावाणुगतो णिउणाए जोगिबुद्धीए // 759 // भिक्खायरियादि सुज्झति अइयारो कोइ वियडणाए उ। . बितिओ उ असमितो मि त्ति कीस सहसा अगुत्तो वा? // 760 / / सद्दादिएसु रागं दोसं व मणे गओ तइयगम्मि / णाउं अणेसणिज्जं भत्तादि विगिचण चउत्थे / // 761 // / २१गाम्म / 28

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