Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ कालो पुण एतीए पक्खादी वण्णितो जिणिदेहि / पायं विसिट्ठगाए पुव्वायरिया तथा चाहू // 703 // पक्खियचाउम्मासे आलोयण णियमसा उ दायव्वा / . गहणं अभिग्गहाण य पुव्वग्गहिए णिवेएउं // 704 // जीयमिणं आणाओ जयमाणस्स वि हु दोससब्भावा / पम्हुसणपमायाओ जलकुंभमलादिणाएणं // 705 // . संविग्गो उ अमाई मइमं कप्पट्ठिओ अणासंसी / पण्णवणिज्जो सद्धो आणाइत्तो दुकडतावी // 706 // तविहिसमुस्सुगो खलु अभिग्गहासेवणादिलिंगजुतो / . आलोयणापयाणे जोग्गो भणितो जिणिदेहिं // 707 // आयारवमा (मो) हारव ववहारोवीलए पकुव्वी य / णिज्जव अवायदंसी अपरिस्सावी य बौद्धव्वो // 708 // तह परहियम्मि जुत्तो विसेसओ सुहुमभावकुसलमती / भावाणुमाणवं तह जोग्गो आलोयणायरिओ .. // 709 // दुविहेणऽणुलोमेणं आसेवणवियडणाभिहाणेणं / आसेवणाणुलोमं जं जह आसेवियं वियडे // 710 // आलोयणाणुलोमं गुरुगवराहे उ पच्छओ वियडे / पणगादिणा कमेणं जह जह पच्छित्तवुड्डी उ // 711 // तह आउट्टियदप्पओ कप्पपमायप्पओ (प्पमायओ कप्पओ) व जयणाए / कज्जे वाऽजयणाए जहट्ठियं सव्वमालोए // 712 // दव्वादीसु सुहेसुं देया आलोयणा जतो तेसुं / होति सुहभाववुड्डी पाएण सुहा उ सुहहेऊ दव्वे खीरदुमादी जिणभवणादी य होइ खेत्तम्मि। . पुण्णतिहिपभिति काले सुहोवओगादि भावे उ / // 714 // // 713 // 24

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