Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 01
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 260
________________ कारणदीवणयाइ वि पडिवत्तीइ वि य एस कायव्वो / राइणियं वज्जेत्ता तगो (गउ) चिए तम्मि वि तहेव // 550 // एवं आणाराहणजोगाओ आभिओगियखओ त्ति / उच्चागोयणिबंधो सासणवण्णो य लोगम्मि // 551 // आणाबलाभिओगो णिग्गंथाणं ण कप्पती काउं / इच्छा पउंजियव्वा सेहे तह चेव राइणिए // 552 // जोग्गे वि अणाभोगा खलियम्मि खरंटणा वि उचिय त्ति / ईसि पण्णवणिज्जे गाढाजोगे उ पडिसेहो // 553 // संजमजोगे अब्भुट्ठियस्स जं किंचि वितहमायरियं / मिच्छा एतं ति वियाणिऊण तं दुक्कडं देयं // 554 // सुद्धेणं भावेणं अपुणकरणसंगतेण तिव्वेणं / . एवं तक्कम्मखओ एसो से अत्थणाणम्मि // 555 // मि त्ति मिउमद्दवत्ते छ त्ति उ दोसाण छादणे होति / मे त्ति य मेराएँ ठिओ दु त्ति दुगुंछामि अप्पाणं // 556 // क त्ति कडं मे पावं ड त्ति य डेवेमि तं उवसमेणं / एसो मिच्छादुक्कडपयक्खरत्थो समासेणं // 557 // कप्पाकप्पे परिणिट्ठियस्स ठाणेसु पंचसु ठियस्स। संयमतवड्डगस्स उ अविर्गप्पेणं तहक्कारो // 558 // वायणपडिसुणणाए उवएसे सुत्तअट्ठकहणाए। अवितहमेयं ति तहा अविगप्पेणं तहक्कारो // 559 // इयरम्मि विगप्पेणं जं जुत्तिखमं तहिं ण सेसम्मि / संविग्गपक्खिए वा गीए सव्वत्थ इयरे णं // 560 // संविग्गोऽणुवएसं ण देइ दुब्भासियं कडुविवागं / जाणतो तम्मि तहा अतहक्कारो उ मिच्छत्तं // 561 // ... 251

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