Book Title: Shardanjali
Author(s): Purnima A Desai
Publisher: Shikshayatan Cultural Center, Newyork USA

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Page 24
________________ Jain Education International ॐ श्री सरस्वत्यै नमः श्री सरस्वती पूजा विधि का महत्व पूर्णिमा देसाई पूजा सेवा है। पूजा का दैनिक जीवन में अपना एक विशेष महत्व है। पूजा अत्यन्त प्रभावशाली और शक्तिशाली है। पूजा प्रभू के समीप ले जाने वाली कडी है । पूजा तन मन और वाणी से की जाती है। पूजा मन को पवित्र करने में सहायक है । पूजा वाह्य आकर्षणों से दूर रहने की मति देती है । पूजा हमें शुद्ध, सुशील और शांत स्वभाव वाला बनाती है। पूजा आनन्द, प्रफुल्लता एवं परम आनन्द देती है। पूजा हमारे आध्यात्मिक मार्ग में अभिवृद्धि करती है। श्री गणेश की पूजा एवं अर्चना के पश्चात माँ सरस्वती की पूजा विधि विधान ज्ञानी पण्डित जी से करानी चाहिए। पूजा सामग्री का विशेष ध्यान रखें। पूजा में चावल, घी, फल, फूल, मेवा, मिठाई, नारियल, पान, सुपारी, कुमकुम, चंदन, अगरबत्ती, गंगा जल इत्यादि का विशेष महत्व है। पूजा शुद्ध मन से करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। पूजा में आरती और शान्ति मंत्र का विशेष महत्व है। पूजा में नैवेद्य तुलसी के पान सहित चढावें । पूजा में तीन, पाँच अथवा सात बाती से दीपक जलावें । पूजा में शंख और घंट का अवश्य उपयोग करें। पूजा द्वादश-नाम अथवा अष्टोत्तर शत नाम से करें । पूजा उन्हें फल देती है जो शुद्ध मन से पूजा करते 1 पूजा लोक कल्याण के लिए की जाय तो असंख्य फल देती है । पूजा देव और दानव दोनों करते हैं। पूजा सर्व मनोरथ पूर्ण करती है। पूजा आत्म समर्पण है । पूजा अन्तःकरण प्रभु 20 के लिए प्रेम जगाती है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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