Book Title: Shardanjali
Author(s): Purnima A Desai
Publisher: Shikshayatan Cultural Center, Newyork USA

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Page 46
________________ द्वादशनाम स्तोत्र सरस्वतीमयं दृष्ट्रा वीणापुस्तकधारिणीम् । हंसवाहसमायुक्ता विद्यादानको मम || प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती । तृतीयं शारदा देवी चतुर्थ हंसवाहिनी ।। पंचम जगति ख्याता षष्ठं वाणीश्वरी तथा । कौमारी सप्तम प्रोक्ता अष्टम ब्रह्मचारिणी ।। नवम बुद्धिदात्री च दशम वरदायिनी । एकादशं क्षुद्रघण्टा द्वादशं भुवनेश्वरी ।। ब्राह्मी द्वादशनामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः । सर्वसिद्धिकरी तस्य प्रसन्ना परमेश्वरी ।। सा मे वसतु जिह्वाग्रे ब्रह्मरूपा सरस्वती । ******************************************* GOD & GODDESSES There is only one God -He is Omnipresent There is only one Religion - The Religion of Love There is only one Law - The Law of Duty There is only one Language - The Language of Heart 42 Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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