Book Title: Shardanjali
Author(s): Purnima A Desai
Publisher: Shikshayatan Cultural Center, Newyork USA

View full book text
Previous | Next

Page 106
________________ ऋतुराज वसंत के शुभ अवसर पर माँ सरस्वती तथा भगवान श्रीकृष्ण को शत-शत प्रणाम। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इस महान उत्सव के आदि देवता है। आज भी ब्रज भूमि में राधा-कृष्ण का आनन्द - विनोद बडी धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन प्रकृति अपने पूर्ण यौवन में रहती है तथा उसका सौन्दर्य अपनी चरम सीमा में होता है। पक्षियों के कलरव, पुष्पों पर भौरों का गुंजार तथा मादकता से युक्त वातावरण वसंत की अपनी विशेषता है। वसंत पंचमी एवं सरस्वती उत्सव पूर्णिमा देसाई आज के दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का पूजन देश के कोने में हर घर एवं परिवार में, शिक्षण संस्थाओं में, तथा मंदिरों और ब्रज भूमि से किया जाता है। आज के दिन पीताम्बर पहनने की प्रथा है। शिक्षण संस्थाओं में छात्राएँ पीली पीली साडियां एवं पोशाकें पहन कर मां सरस्वती की पूजा एवं अर्चना करती है। संगीत की सुन्दर ध्वनि से सारा वातावरण गुंजित हो जाता है। कहीं पर वसंत तो कहीं पर बहार, राग रागनियों के माध्यम से हृदय की उमंग एवं प्रसन्नता को व्यक्त किया जाता है। सारा वातावरण भक्ति एवं श्रृंगार रस के वातावरण में डूबा डूबा रहता है। - - मानव समाज ही नहीं, सारी प्रकृति भी आज श्रृंगारित होती है। वनों में टेसू के फूल खिले हुए ऐसे लगते हैं मानो प्रकृति सुन्दरी स्वतः सोलह श्रृंगार किए हुए किसी की प्रतीक्षा कर रही हो। बेला, जुही, चम्पा, चमेली, कचनार, मधुमालती एवं अन्य वन्य पुष्प अपनी सुगंध बिखेर कर चांदनी रात में मानव तथा पशु पक्षियों को भी मदमस्त वना देते हैं । आज का दिन विष्णु पूजन का भी माहात्मय है। इस दिन कामदेव के साथ रति की पूजा होती है। उत्तर प्रदेश में तो इसी दिन से फाग उडाना आरंभ करते हैं, जिसका क्रम फाल्गुन की पूर्णिमा तक चलता रहता है। Jain Education International आज के दिन ही किसान नये अन्न में गुड तथा फूल मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ तर्पण करते हैं। आईये हम सब भी सरस्वती पूजन एवं वसंत के इस उल्लासपूर्ण एवं सुगंधित वातावरण में हर्ष एवं उल्लास की होली खेलना प्रारम्भ करें तथा मां सरस्वती की आराधना एवं स्तुति में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दें। आप सबका यह संपूर्ण वर्ष, वसंत पंचमी के समान सुख समृद्धि एवं आनन्द की वर्षा करे । माँ सरस्वती की असीम कृपा हम भक्तों पर सदैव बनी रहे ऐसी हम पभू से प्रार्थना करते हैं। माँ भारती की जय जयकार विश्व भर में गुंजित हो । जयहिंद 102 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130