Book Title: Shardanjali
Author(s): Purnima A Desai
Publisher: Shikshayatan Cultural Center, Newyork USA

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Page 126
________________ श्री शारदा माता जी की आरती भुवन विराजी शारदा, महिमा अपरम्पार । भक्तों के कल्याण को धरो मात अवतार ।। मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ। मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।। श्रद्धा को दीया प्रीत की बाती असुअन तेल चढाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ, आरती नित गाऊँ।। मन की माला आँख के मोती भाव के फूल चढाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ, आरती नित गाऊँ।। बल को भोग स्वांस दिन राती कंधे से विनय सुनाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ, आरती नित गाऊँ।। तप को हार कर्ण को टीका ध्यान की ध्वजा चढाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ, आरती नित गाऊँ।। माँ के भजन साधु सन्तन को आरती रोज सुनाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ, आरती नित गाऊँ।। सुमर - सुमर माँ के जस गावें चरनन शीश नवाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ, आरती नित गाऊँ।। 121 Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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