Book Title: Shardanjali
Author(s): Purnima A Desai
Publisher: Shikshayatan Cultural Center, Newyork USA

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Page 38
________________ श्री सरस्वती स्तोत्रम् सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् । देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतौ जनाः ।। मैं वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को नमस्कार करता हूँ, जिनकी कृपा से मनुष्य देवता बन जाता है। Salutation to Mother Saraswati Saraswatim cha taam noumi vaagadhishthaatrudevtaam Devatvum pratipadyante yadnugrahatou janaahaa श्री सरस्वती स्तोत्रम् पातु नो निकषग्रीवा मतिहेम्न: सरस्वती। प्राज्ञेतरपरिच्छेदं सवचसैव करोति या।। जो सरस्वती देवी बुद्धिरूपी स्वर्ण के लिए कसौटी के समान हैं और जो केवल वचन द्वारा ही विद्वान तथा मूढ की परीक्षा लेती हैं, ऐसी वे माता हमारा कल्याण करें। Salutation to Mother Saraswati Patu no njkashagreevaa matihemnaha Saraswati Praagyetar parichchhedum savachasaiva karoti yaa Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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