Book Title: Shakahar Vaigyanik evam Chikitsashastriya Drushtikona
Author(s): Padmachandra Jain
Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf

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Page 5
________________ 87 ॥ तथा भोजन के पाचन एवं खून के दौरे में मदद देता है 6. घी तथा शरीर के तापक्रम को समान रखता है। 7. दूध 60 ,, 8. मांस 28 , 6. कैलशियम 9. मछली यह हडिडयों और दांतों को मजबूत बनाने, शरीर का रंग निखारने, बालों को घने तथा मजबत बनाने विभिन्न देशों के सन्दर्भ में वहां के निवासियों के का कार्य करता है। लिये दैनिक रूप से आवश्यक विभिन्न पौष्टिक तत्वों के सन्दर्भ में किये गए अनुसंधान के आधार पर जो 7. लोहा तथ्य प्रकाश में आए हैं, और इस आधार पर प्रत्येक यह खून के प्रत्येक तन्तु तक आक्सीजन पहुँचाने व्यक्ति के लिये जो सन्तुलित आहार सुझाये गये हैं तथा खुन की लाली बढ़ाने एवं बनाए रखने का काम उनसे भी यह बात स्पष्टतः प्रमाणित हुई है कि शाकाकरता है। हार में ये सभी पौष्टिक तत्व पर्याप्त एवं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इण्डियन काउन्सिल ऑफ मेडीकल 8. विटामिन रिसर्च द्वारा सन 1968 में भारतवासियों के लिये ये शरीर को स्वस्थ तथा रोगमुक्त रखते हैं । आवश्यक सन्तुलित भोजन की जो तालिकाएँ (देखिये 9. कैलोरी-- तालिका क्रमांक 3) प्रकाशित की गई हैं उनसे भी यह स्पष्टतः प्रमाणित है कि शाकाहार ही सन्तुलित यह शरीर में शक्ति व गरमीनापने का पैमाना है अर्थात शरीर में उत्पन्न गरमी और शक्ति मापने की भोजन उपलब्ध कराने को पर्याप्त रूप से सक्षम माप है। आहार है। विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाए जानेवाले उपरोक्त चिकित्सा शास्त्रीय दृष्टिकोण तत्त्वों की मात्रा के आधार पर यह तथ्य सुनिश्चित रूप वैज्ञानिकों एवं चिकित्सा शास्त्रियों ने आहार के से कहा जा सकता है कि अनाज व वनस्पतियों में पर्याप्त सम्बन्ध में किये गये विभिन्न अनुसंधानों में संतुलित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं, (देखिये तालिका आहार तथा विभिन्न आहारों में उपलब्ध पोषक तत्वों क्रमांक 4) न केवल यही वरन वहत सी वनस्पतियों में के संबंध में पर्याप्त अनुसंधान किये हैं। उनसे जहाँ इनकी मात्रा मांसाहारी वस्तुओं की अपेक्षा काफी आहारों के गुणात्मक पक्ष पर प्रकाश पड़ा है, वहाँ गत अधिक है, जैसा कि निम्न तालिका से स्पष्ट है: शताब्दी में चिकित्सा शास्त्रियों ने विभिन्न आहारों द्वारा मानवीय शरीर पर पड़नेवाले कुप्रभावों पर भी तालिका क्रमांक 1 पर्याप्त मात्रा में शोध-कार्य किये हैं, इन अनुसंधानों से पोषक अंशों की मात्रा जो नये तथ्य प्रकाश में आये हैं वे माँसाहारियों के 1. बादाम 91 प्रतिशत लिये चौंका देनेवाले एवं गम्भीर चेतावनी स्वरूप हैं। 2. चना, मटर अनेकों चिकित्सा शास्त्रियों के मतानुसार माँसाहार 3. चावल गठिया, कैन्सर, पक्षाघात, राजयक्षमा, मगी, रक्ताम्ल, 4. गेंहूँ कुष्ट आदि कितने ही भयानक रोगों को प्रोत्साहित 5. जी . ... 84 , करता है । विगत में हुए अनुसंधानों से मांसाहारियों वस्तु ००००० 87 87 86 , , , २९५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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