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विज्ञान-जगत ने केवल वनस्पति को ही सजीव माना गया है। इस पुस्तक में लेखक ने ऐसे अनेक तथ्य व संकेत दिये हैं, जिनके आधार पर पानी की सजीवता पर वैज्ञानिक चर्चा को आगे बढ़ाया जा सके।
यह पुस्तक, द्विभाषिक है। कुछ सामग्री सिर्फ हिन्दी अथवा अंग्रेजी में ही है। लेकिन अधिकांश सामग्री दोनों भाषाओं में है, जिससे वर्तमान के दोनों भाषाओं के पाठक लाभान्वित हो सके। सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल आरम्भ से ही सन्तों, विद्वानों, मनीषियों, कवियों और साहित्यकारों के मौलिक विचारों को पुस्तक रूप में प्रकाशित करके अल्पमूल्य में जन-जन तक पहुँचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। लेखकों को पाठकों से जोड़ने के हमारे सतत् व समर्पित प्रयासों की सर्वत्र प्रशंसा हुई है। हमारा विश्वास है कि पानी पर प्रकाशित डॉ. जीवराज जैन की यह पुस्तक जल के अपव्यय को रोकने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हम डॉ. जैन के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
पी. शिखरमल सुराणा
सम्पतराज चौधरी
कार्याध्यक्ष
विरदराज सुराणा
मंत्री
अध्यक्ष
सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल
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