Book Title: Savruttikam Uttaradhyayan Sutram Part 02 Author(s): Unkonwn Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 5
________________ १२ मूलम् - णो इत्थीहिं सद्धिं सन्निसिजागए विहरित्ता हवइ से निग्गंथे, तं कहमितिचे ? आयरिआह- निग्गंथस्स खलु इत्थीहिं सद्धिं सन्निसिज्जागयस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा | वितिगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा, भेअं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिजा, दीहकालियं वा रोगायंकं हविज्जा, केवलिपण्णत्ताओ वा धम्माओ भंसिजा, तम्हा खलु नो निग्गंथे इत्थीहिं सद्धिं सन्नि - सिजागए विहरिजा ॥ ६॥ व्याख्या -नो स्त्रीभिः सार्धं संनिषद्या आसनं तद्गतः सन् विहर्त्ता अवस्थाता भवति, कोऽर्थः ? स्त्रीभिः सममेकासने नोपविशेत्, उत्थिताखपि तासु मुहूर्त्त यावत्तत्र नोपवेष्टव्यमिति सम्प्रदायो, य एवंविधः स निर्ग्रन्थः, शेषं प्राग्वदिति सूत्रार्थः ॥ ३ ॥ ६ ॥ चतुर्थमाह मूलम् - णो इत्थीणं इंदिआई मणोहराई मणोरमाइं आलोएत्ता निज्झाएत्ता भवति से निग्गंथे, तं कहमितिचे ? आयरिआह - निग्गंथस्स खलु इत्थीणं इंदिआई मणोहराई मणोरमाइं आलोएमाणस्स निज्झाएमाणस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा वितिगिच्छा वा जाव केवलिपण्णत्ताओ वा धम्माओ भंसिज्जा, तम्हा खलु नो निग्गंथे इत्थीणं इंदिआई जाव- निज्झाएजा ॥ ७ ॥ षोडशमध्ययनम् सू ६-७Page Navigation
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