Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana View full book textPage 9
________________ मूलाका: १६५ + ५७ 'ज्ञाताधर्मकथाङ्ग'-सुत्रस्य विषयानुक्रम दीप-अनुक्रमा: २४१ मलाक: पृष्ठांक: पृष्ठाक રૂકર पृष्ठांक: ५०२ ०११ १६५ १९१ २०२ श्रुतस्कन्ध: अध्ययन ००१-०१- उत्क्षिप्तज्ञातं ०४२- | ०२- संघाटकं ०५५- ०३- अंड: ०६२- | ०४-कर्म: ०६३- | ०५- शेलक: ___०७४- | ०६- तम्बक: ०७५- | ०७- रोहिणी ०७६- | ०८- मल्ली ११०. | ०९- माकंदी १४१- १०- चन्द्रमा श्रुतस्कन्ध: मूलांक: । अध्ययन १४२- ११-दावद्रव: १४३- | १२- उदकज्ञात: १४५- | १३- दर्दरक: १४८- १४- तैतलिपुत्रं १५७ | १५- नंदिफलं १५८- १६- अपरकंका १८४- १७- अश्व: २०८- १८- सुसूमा २१३-२२० | १९- पुण्डरीक: ५१२ ५१३ श्रुतस्कन्ध: २ मूलांक: वर्ग: २२०. ०१- चमरेन्द्र अग्रमहिषि | ०२-बलिन्द्र अग्रमहिषि । २२६- ०३- धरणादि अग्रमहिषि २२७- | ०४- भूतानंदादि अग्रमहिषि २२८- | ०५- पिशाचादि अग्रमहिषि २३४- ०६- महाकाल अग्रमहिषि । २३५- | ०७- सूर्य अग्रमहिषि २३६- ०८- चन्द्र अग्रमहिषि २३७- ०९- शक्र अग्रमहिषि २३८-२४१ | १०- ईशान अग्रमहिषि २०६ ३९५ ५१३ २३६ २३९ २५१ ३२१ ३४९ ५१४ ५१४ ५१४ ५१५ ४७९ ४९४ ५१५ पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.आगमसूत्र-[०६], अंगसूत्र-०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:Page Navigation
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