Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
View full book text
________________
आगम (०६)
[भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा” – अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:)
श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं -1, ---------- -------- मूलं [१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[०६] अंगसूत्र-[०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
॥३
॥
ज्ञाताधर्म
। पूजिता या सा तथा, 'उत्ताणनयणपेच्छणिज्जा' सौभाग्यातिशयादुत्तान:-अनिमिषैर्नयनैः-लोचनैः प्रेक्षणीया या सा तथा १ उरिक्षकथानम्.
पासाईया' चित्तप्रसत्तिकारिणी 'दरिसणिज्जा' यां पश्यञ्चक्षुः श्रमं न गच्छति, 'अभिरूपा' मनोज्ञरूपा 'पडिरूवा' साध्य प्रतिरूपा द्रष्टारं द्रष्टारं प्रति रूपं यस्याः सा तथेति।
पूर्णभद्रवतीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्था। वण्णओ (सूत्रं ३) I र्णनं सू.२ तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिको नाम राया होत्था वण्णओ । (सूत्रं ३)
कोणिकवतस्या णमित्यलारे चम्पाया नगा 'उत्तरपुरस्थिति उत्तरपौरस्त्ये उत्तरपूर्वायामित्यर्थः 'दिसीभाए'त्ति दिग्रभागेर्णनं सू.३ पूर्णभद्रं नाम चैत्य-व्यन्तरायतनं, 'वण्णओ'त्ति चैत्यवर्णको वाच्यः, स चाय-चिराइए पुवपुरिसपत्नत्ते' चिर:-चिर-1 काल आदि:-निवेशो यस तचिरादिक, अत एवं पूर्वपुरुषैः-अतीतनरैः प्रज्ञप्त-उपादेयतया प्रकाशितं पूर्व पुरुषप्रज्ञप्तं 'पुराणेति चिरादिकखात् पुरातने 'सदिए' शब्द:-प्रसिद्धिः स संजातो यस्य तच्छब्दितं 'वित्तए' विर्त-द्रव्यं तदस्ति यस्य तद्वित्तिकं वृति वा आश्रितलोकानां ददाति यत्तद्वचिदं 'नाए' न्यायनि यकखात न्यायः ज्ञात वा-शातसामर्थ्यमनुभूततत्प्रसादेन लोकेनेति,1% 'सच्छते सज्झए सघंटे सपडागाइपडागर्मडिए' सह पताकया वर्तत इति सपताकं एका पताकामतिक्रम्य या पताका सातिपताका तया मण्डितं यत्चत्तथा तच्च तच्चेति कर्मधारयः, 'सलोमहत्थे लोममयप्रमार्जनकयुक्तं 'कयवेयय(दि)ए' कृतं
॥ ३ ॥ वितर्दिक-रचितवेदिक 'लाउल्लोइयमहिए' लाइयं यद्भूमेश्छगणादिनोपलेपनं उल्लोइयं-कुड्यमालाना सेटिकादिभिः संमृष्टीकरण ततस्ताभ्यां महितमिव महितं-पूजितं यत्तत्तथा, 'गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिन्नपंचंगुलितले' गोशीर्षण-सरसरक्तचन्दनेन
अनुक्रम
कोणिक-राज्ञ: वर्णनं
~16

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 522