Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ पृष्ठांक १४. मूलाका: १५९+९३ मलाक: समवाय: १३९ | एकषष्टि दविषष्टि १४१ त्रिषष्टि १४२ चतुःषष्टि १४३ पञ्चषष्टि १४४ षषष्टि १४५ सप्तषष्टि १४६ अष्टषष्टि १४७ एकोनसप्तति १४८ - सप्तति समवायाङ्ग सूत्रस्य विषयानुक्रम पृष्ठांक मलांक:::: समवाय: १५६ १४९ । एकसप्तति १७० | १५७ || १५० | दविसप्तति १७२ १६१ १५१ त्रिसप्तति १७४ १६१ १५२ चतुःसप्तति १७५ पञ्चसप्तति १७६ १५४-१५५ षड्सप्तति १७७ १६४ १५६ सप्तसप्तति १७७ १५७ अष्टसप्तति १७८ १६ एकोनाशीति १६८ १५९ अशीति दीप-अनुक्रमा: ३८३ मलांक: समवाय: पृष्ठांक | एकाशीति १८३ | दवयशीति १८४ १६२ त्र्यशीति १८५ १६३ चतुरशीति १८७ १६४ पंचाशीति १६५ षडशीति १६६ सप्ताशीति १९२ १६७ अष्टाशीति १६८ एकोननवति १६९ नवति १९५ १५३ १९४ A/R १७० १७४ २०१ नवनवति शत २०५ २०४ १९८ १७५ एकनवति १७१ | द्विनवति કર त्रिनवति १७३ | चतुर्नवति पञ्चनवति षण्णवति सप्तनवति अष्टनवति १७८ | १७९ | १८०-३८३ २०० २०२ २०३ २०४ १७६ १७७ प्रकीर्णक: समवाया: २०८३२७ २०१ पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...आगमसूत्र-[०४], अंग सूत्र-[०४] “समवाय” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ~10~

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 338