Book Title: Saraswat Vyakaran
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 12
________________ सारच | देकारादोकाराचपरस्याकारस्थलोपोभवति १९ नेअब नेत्र पटोअब पटोत्र सवर्णेदोर्यःसह समानस्यसवर्णपरेसहार्यो भवति २० श्रमात्र यात्र अदी?दीर्यतांयातिनास्तिदीर्घस्यदार्थना पूर्वदीर्घस्वरहवापरलोपोविधीयते १२ दधिइह दधीह मधउदकं मधूदकं सामान्य | शास्वतोनूनविशेषोबलवान्भवेत् परेणपूर्वबाधोवाभायशोदृश्यतामिह १३ बहुव्यापकंसामान्य अल्पव्यापकोविशेषः अइगरम रसू.११) नवइदं तवेद ममइदं ममेदं सर्वविधियो। लोपविधिर्बलवान हलादेशषादोटेले.पीवक्तव्यः२१ क्वचिनदादिवर्णाभावेकेवलस्वरस्यापि|दिसंज्ञावक्तव्या हलईषाहलीषा लांगलईपालांगलीपा मनसईपा मनीषा शक अंधुः शकंयुः। कर्कअंधुकधुःसीमनअंतःसीमंतः केशवेशे अन्यत्रसामानः कुलअटा कुलटा पतन् अं| जालः पतंजलिःसारअंगःसारंगः पशुपक्षिणोः अन्यबसारांग: हलीपालांगलीषाचमनीषा। घोंनथैवच शकंधरथककूधुःसीमंतःकुलातथा पतंजलिश्चसारंगण्तेमोक्ताहलादयः ||४ १४ ओमाडायपि अवस्पिरीओमाडौंटिलोपनिमित्तोस्तः२२ अद्यओम अद्योम् शिया |

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