Book Title: Saraswat Vyakaran
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 14
________________ ५. सा. स्व. रेचपरेसह औकारोभवनि ३३ नवओट्न: नवोदनः नवऔन्नत्यं नवोन्नत्यं ओष्टोत्वोव अवर्णस्य (बृ.१ ओष्ठोत्वोः परयोः समासेसति सहवाओ भवति बिंबओष्ठः बिंबोष्ठः बिंबोष्ठः स्थूलओनुःस्थूलो प्र·१ तुः स्थूलीतुः असमासेकिं तवओष्ठः तौड : इतिस्वरसंधिः अथप्रकृतिभावउच्यते प्रकृतेयथास्थितस्यरूपस्यभवनंप्रकृतिभावः नामी अदसो मी संधिनप्रामोति १ अभी आदियाः खेद्वित्वे ईचऊच एचवे दिले ईकारांनऊकारांत एकारांतश्च शब्दोहित्वेवर्त्तमानः संधिनामोति २ मणीवदिकर्ज अग्रीअत्र पात्र मालेआनय मणीइव मणीव मणीवोष्टस्यलंबेने | प्रियोवत्सतरौमम हीयमाणोतुतौ दम्यौम किस्तत्रेदमब्रवीत् १६ रोदसीइव रोदसीव दंपनी इव दंपतीच जंयतीव संपत्तीव जायापतीस जायापतीव औनिपात: आच ओच अच इन्च उच्च ऋच वृच एच एच ओ ओ आओइति पृथक् पदंवानिपातः आकारनिपात ओकारनिपातएकस्वरश्व संधिनमामोति ३ आएवमन्यसे नोअत्रस्थातव्यं उउत्तिष्ठ डुइंद्रपश्य अअपे हि आग्रहणादाडोननिषेधः तथाचोक्तं ईषदशक्रियायोगेमर्यादा भिविधन्तियः एतमातं

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