Book Title: Sanshay Sab Door Bhaye
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org • अपने गाँव जाकर अपने माता-पिताके साथ रह सकता हूँ. बुढापेमें उनकी सेवा कर सकता हूँ हँसी-खुशीसे परिवार के साथ अपना शेष जीवन आराम से बिता सकता हूँ. बच्चोंकी शादी निपटा सकता हूँ किन्तु पेटी पर कब्जा तबतक कैसे मिल सकता है, एक ही बड़ा पाप करना है। इस पेटी के मालिक को परम धाम पहुँचाना है और फिर मजे ही मजे । मनमें बेईमानी आई - पाप आया-मस्तिष्क सक्रिय हुआ हत्याका उपाय खोजा गया तय हुआ कि इस पाप में किसी गरीबको साझीदार बनाकर उसी से हत्या करवाई जाय. "लोभः पापस्य कारणम् ॥" (लोभ पापका कारण होता है) स्टेशन के पास ही कुछ हरिजनों के घर थे तत्काल स्टेशन मास्टर एक हरिजनके घर गया. वहाँ एकान्त में बैठ कर उसे सारी योजना समझाई:"एक काम मैं तुम्हें सौंप रहा हूँ. स्टेशन पर वेटिंगरूम में एक मुर्गा सोया है. उसे हलाल करना है. रातको दो बजे यहाँ से एक मालगाडी गुजरेगी. एक बजे ही उस लाशको अपने पटरी पर ले जाकर रख देंगे केस दुर्घटनाका बन जायगा. पेटी मैं पार कर लूँगा. उसमें सेठकी सारी कमाई रखी हुई है. खोलनेपर जो कुछ मिलेगा, उसका पाँचवाँ हिस्सा मैं तुम्हें इनाम के रूपमें दे दूँगा यदि उसमें पाँच हजार मिले तो एक हजार तुम्हारे हो जायँगे जल्दी निर्णय करो, अन्यथा मैं किसी दूसरे आदमी से काम लूंगा. काम करना हो तो उठाओ छुरी और चलो मेरे साथ ।" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हरिजन उस सेठकी हत्याके लिए तैयार हो गया. उसने कहा: "ठीक है. मुझे आपका प्रस्ताव मंजूर है. समझ लीजिये कि आपका काम हो गया है, छुरी की धार तेज़ करके अभी आधे घंटे में आता हूँ आप पहुँचिये स्टेशन पर " आधे घंटे बाद हरिजन अपनी छुरी तेज़ करके वेटिंग रूममें पहुँचा और वहाँ सोये हुए व्यक्ति का पेट निर्दयतासे चीर डाला. फिर लाशको उठाकर पटरी पर डाला आया. स्टेशनमास्टरको नमस्कार करके अपनी झोपडी में चला गया और कहा गया कि अब अगले कार्यकी जिम्मेदारी आप पर है- कल मुझे मेरा इनाम मिल जाना चाहिये. ५५ For Private And Personal Use Only

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