Book Title: Sanshay Sab Door Bhaye
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 93
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फिर महापण्डित प्रभावजीने सोचा कि जब दस विद्वानोंने सर्वदा प्रभु के पास पहुँचकर अपनी-अपनी शंका का समाधान पा लिया, तब अकेला मै ही क्यों पीछे रहूँ ? क्यों न मैं भी निर्वाणविषयक अपनी शंका का उनसे निवारण करवा लूँ और उन्ही के समान कल्याणपथ का पथिक बन जाऊँ ? इस विचार को कार्यरूपमें परिणत करनेके लिए वे अपने तीन सौ छात्रों के समुदाय के साथ धूम-धामसे समवसरण की ओर चल दिये. प्रभुने 'प्रभास' को ज्यों ही देखा, बोल उठे:- हे प्रभास । “जरामर्यं वा यदग्निहोत्रम्" (अथवा यह जो अग्निहोत्र है, उसे सदा करते रहना चाहिये) अग्निहोत्रका फल स्वर्ग है., इसलिए आदेशानुसार आजीवन अग्निहोत्रः करने पर स्वर्ग से अधिक कुछ नहीं मिलेगा. स्वर्ग अन्तिम प्राप्तव्य मानलिया रह जाता है ? निवार्ण किसे मिलेगा ? क्यों मिलेगा ? अग्निहोत्र से निवार्ण नहीं होता और अग्नि होत्र जीवन-भर करने का आदेश है., इसलिए अग्निहोत्री का जीवन सदा निर्वाण शून्य रहेगा. इससे मालूम होता है कि निवार्ण का अस्तित्व नहीं है., परन्तु दूसरी ओर वेद में यह भी लिखा है- द्वे ब्रह्मणी वेदितव्ये परमपरं च ॥ (दो ब्रह्म हैऐसा जनना चाहिये. एक पर और दूसरा अपर) इससे निर्वाणकी सत्ताभी प्रतीत होती है. ऐसी स्थितिमें वास्तविक क्या है ? निर्वाण है भी या नहीं | यह शंका वर्षोंसे तुम्हारे मनमें छिपी बैठी है. ठीक है न ? प्रभासः जी हाँ । यही शंका है, जो मेरे मनमें अथल-पुथल मचाती रहती है. कृपया इसका निराकरण कर मुझे अनुगृहीत करें. प्रभुः- जरामर्यंवा यदग्निहोत्रम् ॥ इसे वेदवाक्यमें 'वा' अव्यय 'आपि' (भी) के अर्थमें प्रयुक्त हुआ है., इसलिए उस वाक्य का अर्थ हो जाता है- जो अग्निहोत्र है, वह आजीवन भी करते रहना चाहिये. आशय यह हुआ कि जो स्वर्गार्थी है, उसे आजीवन भी अग्निहोत्र करते रहना चाहिये और जो निर्वाणार्थी है, उसे निर्वाण साधक अनुष्ठान आजीवन भी करते रहना चाहिये. वेद के उस वाक्य में निर्वाण का उल्लेख नहीं है तो निषेध भी नहीं है. पुण्य का फल स्वर्ग है, पाप का फल नरक है, पुण्य-पाप के मिश्रण का फल मर्त्यलोक है तो पुण्यपापके सर्वथा अभावका फल भी कुछ होना चाहिये. बस, वही निर्वाण है. ७५ For Private And Personal Use Only

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