Book Title: Sangrahani Sutram
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 278
________________ संग्रहणी ॥१३॥ असिई छ सट्रिभागा, जोअण चउलक्ख बिसत्तरि सहस्सा । छच्च सया तेत्तीसा, तीस कला पंचगुणिअंमि॥८६॥ सत्तगुणे छलक्खा, इगसट्ठिसहस्स छसय छासीआ। चउपन्न कला तह नवगुणम्मि अडलक्ख सड्ढा उ ॥ ८७॥ सत्त सया चत्ताला, अट्ठारकला य इअ कमा चउरो। चंडा चवला जयणा, वेगा य तहा गई चउरो ॥ ८८॥ एत्थ य गई चउत्थि, जवणयरिं नाम केइ मन्नंति । एहिँ कमेहिमिमाहिं, गइहिं चउरो सुरा कमसो ॥ ८९ ॥ विक्खम्भं आयामं, परिहिं अभितरं च बाहिरियं । जुगवं मिणति छम्मास, जाव न तहावि ते पारं ॥ ९ ॥ पावंति विमाणाणं, केसिपि हु अहव तिगुणिआईए । कमचउगे पत्तेअं, चंडाइगईउ जोइजा ॥ ९१ ॥ तिगुणेण कप्पचउगे, पंचगुणेणं तु अट्ठसु मिणिजा । गेवेजे सत्तगुणेण नवगुणेऽणुत्तरचउक्के ॥९२ ॥ पढमपयरंमि पढमे, कप्पे उडुनाम इंदयविमाणं । पणयाललक्खजोअण, लक्खं सखुवरि सवढें ॥ ९३ ॥ अहभागा सग पुढविसु, रजु एकेक तहय सोहम्मे । मांहिंद लन्त सहसौरचुअगेविज लोगंते ॥ ९४ ॥ सुरेसु भवणदारं सम्मत्तं, इण्हि ओगाहणादारं भण्णइभवणवणजोइसोहम्मीसाणे सत्तहत्थ तणुमाणं । दुदुदुचउक्के गेवेजणुत्तरे हाणि एकिके ॥ ९५॥ कप्पदुगदुदुदुचउगे, नवगे पणगे अ जिठिइ अयरा । दो सत्त चउदठारस, बावीसिगतीस तेत्तीसा ॥ ९६ ॥ विवरे ताणिक्कूणे, एक्कारसगाउ पाडिए सेसा । हत्थेक्कारसभागा, अयरे अयरे समहिअम्मि ॥ ९७ ॥ ॥१३१॥ lain Education International For Privale & Personal use only www.jainelibrary.org

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