Book Title: Sangrahani Sutram
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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________________ - - -%ESCACANCE - संग्रहणी-1 सूत्रम्. // 138 // उत्तमचरमसरीरा, सुरनरइओ असंखनरतिरिआ / हुंति निरुवक्कमाउ, दुहावि सेसा मुणेअवा // 265 // जेणाउमुवकमिजइ, अप्पसमुत्थेण इअरगेणावि / सो अज्झवसाणाई, उवक्कमोऽणुवकमो इअरो॥२६६ // अज्झवसाण १निमित्ते २,आहारे ३वेअणा 4 पराघाए 5 फासे 6 आणापाणू ७,सत्तविहं झिज्झए आउं // 267 // आहार सरीरिदि, पजत्ती आणपाण भासमणे / चउ पंच पंच छप्पिस, इगविगलासन्निसन्नीणं // 268 // आहारसरीरिंदिअ, ऊसासवओमणोऽभिनिवत्ती। होइ जओ दलिआओ, करणं पइ सा उ पज्जत्ती // 269 // पणइंदिअतिबलूसा, आउ अ दस पाण चउछसगअट्ट / इगतिचउरिंदीणं, असन्निसन्नीण नव दस य // 270 // संखित्ता संगहणी, गुरुतरसंगहणिमज्झओ एसा / सिरिसिरिचंदमुर्णिदेण, निम्मिआ अत्तपढणहा // 271 // संखित्तयरी उ इमा, सरीरमोगाहणा य संघयणा / सन्ना संठाण कसाय, लेसिंदिअ दुसमुग्धाया // 272 // दिट्ठी दंसण नाणे, जोगुवओगोषवायचवणठिई। पजत्ति किमाहारे, सन्नी गईरागई वेए // 273 // R-NCREASCARSA kSCARROCRECE0%A5% // इति श्रीश्रीचन्द्रीयं श्रीसंग्रहणीसूत्रं समाप्तम् // // 13 // इति श्रेष्ठि देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारे ग्रन्थाङ्क: 27. in Education and For Privale & Personal use only www.jainelibrary.org

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